tag:blogger.com,1999:blog-7308606979720379571.post7004921465208967394..comments2023-10-25T20:25:08.946+05:30Comments on ENDEAVOUR, एक प्रयास: "मेरा जीवन कोरा कागज़, कोरा ही रह गया"Aashuhttp://www.blogger.com/profile/01903987800218010521noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7308606979720379571.post-22631633281380636832010-03-31T00:27:08.325+05:302010-03-31T00:27:08.325+05:30@ALok: आपकी बात से बिल्कुल सहमत हूँ कि हर बात ब्...@ALok: आपकी बात से बिल्कुल सहमत हूँ कि हर बात ब्लॉग पर लिखने लायक नहीं होती। खैर, इरोंय को हिंदी में शायद विडंबना कहते हैं। :)Aashuhttps://www.blogger.com/profile/01903987800218010521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7308606979720379571.post-29285325435896429482010-03-31T00:26:33.494+05:302010-03-31T00:26:33.494+05:30irony == विडंबनाirony == विडंबनाAlokhttps://www.blogger.com/profile/12947383354732747209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7308606979720379571.post-67035657877400164342010-03-31T00:23:37.621+05:302010-03-31T00:23:37.621+05:30"और कई बार तो सार्थकता की तलाश करते करते भी न..."और कई बार तो सार्थकता की तलाश करते करते भी नाटकीयता ही हाथ लगती है" -- जी हाँ बिलकुल :) पता नहीं irony को हिंदी में क्या कहते हैं!Alokhttps://www.blogger.com/profile/12947383354732747209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7308606979720379571.post-73530964273750713912010-03-31T00:16:57.744+05:302010-03-31T00:16:57.744+05:30वैसे गंभीरता से कहें तो कुछ बातें ऐसी होती हैं, जो...वैसे गंभीरता से कहें तो कुछ बातें ऐसी होती हैं, जो ब्लॉग पर या फेसबुक आदि के स्टेटस पर नहीं डाली जा सकती हैं. और डालनी भी नहीं चाहिए! अपनी किसी निजी डायरी में लिखने का प्रयास करो. अकेले में उसके बारे में सोचो फिर शायद उसमे से कुछ बौद्धिक या दार्शनिक निष्कर्ष निकले. तब जाकर शायद कोई अर्थपूर्ण और non-melodramatic ब्लॉग लिख सकोAlokhttps://www.blogger.com/profile/12947383354732747209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7308606979720379571.post-71349407630008938082010-03-31T00:12:34.734+05:302010-03-31T00:12:34.734+05:30@Alok: कभी-कभी सार्थकता से हटकर नाटकीयता का सहारा ...@Alok: कभी-कभी सार्थकता से हटकर नाटकीयता का सहारा लेना भी उचित ही है और कई बार तो सार्थकता की तलाश करते करते भी नाटकीयता ही हाथ लगती है। शायद ये पोस्ट भी ऐसा ही कोई क्षण था! :)Aashuhttps://www.blogger.com/profile/01903987800218010521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7308606979720379571.post-5321654825018737592010-03-31T00:05:42.964+05:302010-03-31T00:05:42.964+05:30काफी melodramatic पोस्ट है. (पता नहीं मेलोड्रामा क...काफी melodramatic पोस्ट है. (पता नहीं मेलोड्रामा को हिंदी में क्या कहते हैं!)Alokhttps://www.blogger.com/profile/12947383354732747209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7308606979720379571.post-29641497583541950482010-03-30T14:10:57.717+05:302010-03-30T14:10:57.717+05:30कोरा कागज़ ही बहुत कुछ कह गया
दर्द की तस्वीर जो ...कोरा कागज़ ही बहुत कुछ कह गया <br /><br />दर्द की तस्वीर जो उभर रही हैं वो दिख रही हैं कोरे कागज़ परYashwant Mehta "Yash"https://www.blogger.com/profile/02457881262571716972noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7308606979720379571.post-69709719383061155032010-03-30T10:15:05.593+05:302010-03-30T10:15:05.593+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.com