वक़्त बदल गया, हम बदल गए
मैं वही रह गया, तुम आगे निकल गए.
सिर्फ एक साल ही तो छोटे थे तुम
भाई से ज्यादा दोस्त होते थे तुम.
साथ खेलना, साथ खाना, साथ उठना-बैठना,
कभी कभी तो साथ इतना वक़्त बिताने के लिए मार तक खाना.
दोस्ती की तकरार को भय्यारी से मिटा देना
भय्यारी की मुसीबतों को दोस्ती से सलटा लेना.
मुसीबतों में देना हमेशा एक दुसरे का साथ
एक दुसरे को बताना अपनी वो हर एक बात.
अचानक ये क्या हो गया?
तुम तुम न रहे,
मैं मैं न रहा
दोस्त तो हम नहीं ही रहे,
अब तो भाई भाई भी न रहा.
कभी सोचने बैठता हूँ तो सोच नहीं पाता कि दोषी है कौन,
मैं, तुम, हमारी दोस्ती, ये वक़्त या फिर कोई और.
वक़्त बदलता है, बदलेगा ही और बदला भी,
मगर हमारा वक़्त के साथ में बदलना जरूरी तो नहीं,
या कि दोषी ठहराऊं अपनी उस गहरी दोस्ती को
जो अपनी सारी बातें न बांटते तो आज ऐसा कुछ हुआ होता तो नहीं.
क्या तुम्हारी ज़िन्दगी में किसी और के आने से मैं अहम् न रहा
या ये मेरी ही नासमझी थी जिसके कारण हमारे बीच आज कुछ न रहा.
दोषी ठहराऊं तो किसे ठहराऊं, समझ नहीं आता
सब कुछ भूल जाऊं, ये सोचता हूँ, मगर कर नहीं पाता.
पांच महीने हो गए जब तुमने अंतिम बार मुझसे बात किया था
पता नहीं कहीं वो ही तो वो आखिर बार नहीं, जब तुमने मुझे याद किया था.
वक़्त बदल गया, हम बदल गए
मैं वही रह गया, भाई, तुम आगे, बहुत आगे निकल गए!
4 comments:
oye..is that u in the pic????
yes.......the one in blue dress!!!
so touchy...
haan i know....bahautttt innocent n cute lag raha hai:D
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