इन दिनों क्रिकेट के गलियारों में अगर किसी खबर ने सुर्खियाँ बटोरी है तो वो है IPL कि नीलामी में पाकिस्तानियों का न लिया जाना। IPL का तीसरा संस्करण शुरु होने वाला है और इसके लिए तैयारियां भी जोड़ों से चल रही है। खिलाड़ियों की नीलामी भी इन्ही तैयारियों का एक हिस्सा थी। IPL फ़्रैंचाईजी टीमों के मालिक अपनी अपनी टीम के लिए नामी-गिरामी खिलाडियों की बोली लगा रहे थे। पुरानी हिंदी फिल्मों में कई बार नीलामी के सीन देखने को मिल जाया करते थे। हीरो का परिवार कर्ज नहीं चुका पाता था और जालिम सेठ उसकी सारी संपत्ति को नीलाम करके अपना कर्ज वसूल कर लिया करते थे। कहीं कोई आश्चर्य नहीं होता था, आखिर नीलामी में बिकते तो सामान ही थे; सामान, जो बिकने और खरीदने के लिए ही बने होते थे। यहाँ IPL की नीलामी में बोली उसी तरह लग रही थी मगर फर्क इतना था कि बोली सामानों की नहीं बल्कि इंसानों की लग रही थी। कभी सोचता हूँ तो लगता है कि क्या यहाँ कोई फर्क था। व्यवसायीकरण के इस युग में जहां हर चीज का वस्तुकरण हो रहा है वहां इंसानों को भी सामान समझा जाना उन फ़्रैंचाईजी मालिकों के लिए शायद गलत नहीं है। खैर, ये खुद में एक मुद्दा है जिसकी चर्चा कभी बाद में करूँगा।
इसी नीलामी के ख़त्म होने के पहले ही एक अलग ही मुद्दा जोड़ पकड़ चुका था। 13 में से एक भी पाकिस्तानी खिलाड़ी को नहीं ख़रीदा गया था। कोई इसका कारण इन खिलाड़ियों के लिए वीसा मिलने में होने वाली दिक्कतों को बता रहा था तो कोई आरोप IPL प्रशासन की ओर लगा रहा था कि उनके आदेश के अनुरूप ही किसी टीम ने इन खिलाड़ियों के लिए बोली तक नहीं लगायी। कोई तो यहाँ तक कह रहा था कि ये सब भारत सरकार की ही करनी थी। जितने मुंह उतनी बातें। सच क्या है और झूठ क्या इसका पता हम जैसे क्रिकेट प्रेमियों को कभी नहीं चल पायेगा। देखा जाये तो जानने कि जरूरत भी नहीं है। तात्कालिक कारण कुछ भी हो, जड़ में तो भारत-पकिस्तान के बिगड़ते रिश्ते ही हैं। कितनी बार इस बदलते-बिगड़ते रिश्ते ने इन दो मुल्कों के बीच क्रिकेट-संबंधों पर पानी फेरा है, इसका तो हिसाब लगा पाना भी मुश्किल हो चला है। एक और बार सही।
नीलामी हुई, नीलामी में वे खिलाड़ी नहीं चुने गए। इनके साथ 30 और खिलाडी नहीं चुने गए। किसी ने कोई आवाज़ नहीं उठाई। पाकिस्तानियों का गुस्सा फूट पड़ा। भारत सरकार और क्रिकेट बोर्ड दोनों पर आरोप पर आरोप लगाये जाने लगे। रमीज़ राजा साहब को तो जैसे रोज़गार ही मिल गया। पिछले एक हफ्ते से वे सभी न्यूज़ चैनल पर छाये हुए हैं। आफरीदी औस्ट्रैलिया में हार रहे हैं फिर भी दिमाग में IPL की नीलामी ही चल रही है। कहते हैं कि उनकी कौम का अपमान हुआ है। अरे काहे कि कौम आफरीदी साहब! ये आपका यही कौम था जिसने कराची में खेलने गए हुए श्रीलंकाई खिलाड़ियों के ऊपर गोले दागे थे। क्या बिगाड़ा था उन खिलाड़ियों ने आपकी कौम का?
सोचता हूँ अगर IPL में इतना पैसा न छिपा रहता तो भी क्या पाकिस्तानी इतनी ही मार करते यहाँ खेलने के लिए। बिल्कुल नहीं। क्रिकेट को पूछ कौन रहा है, यहाँ तो सबको पैसे कि पड़ी है। करोड़ों कमाने का एक आसान तरीका भारत ने पाकिस्तानियों के हाथ से छीन लिया है। कोई ज्यादती नहीं की। पैसे कमाना है कमाओ अपने मुल्क में। साल भर से एक भी मुकाबला तो करवा नहीं पाए अपने मुल्क में और मरे जा रहे हैं भारत के घरेलू मुकाबले में खेलने के लिए।
मैं ये मान लेने को भी तैयार हूँ कि भारत ने जानभूझ कर ही इन पाकिस्तानी खिलाड़ियों को IPL का हिस्सा न बन पाने के लिए ये सब किया है। अगर कोई कहे कि ये मुंबई पर हुए हमले के कारण है तो शायद मैं कहू कि तब ये गलत है मगर पकिस्तान में हमले सिर्फ आम लोगो पर ही नहीं हुए हैं। वहां हमले क्रिकेट खिलाड़ियों पर भी हो चुके हैं। उस हमले को श्रीलन्काइओं से ज्यादा कोई समझ भी नहीं सकता। अगर उस हमले की सजा भारत के एक घरेलु टुर्नामेंट में न खेल पाने के रूप में पाकिस्तानियों को मिल रही है तो क्या ज्यादती हो रही है उनके साथ। है औकात तो करा लें खुद के यहाँ एक PPL और आराम से खेलें वहां। जितनी इज्ज़त मिलनी थी भारत में मिल चुकी पाकिस्तानियों को। इतनी बार पीठ में छुरा घुप चुका है कि अब उसके लिए भी एक भी जगह नहीं बची है। कुछ भी गलत नहीं हुआ है उनके साथ। उन्हें अपनी करनी की ही सजा मिल रही है और कुछ नहीं। जिसकी भी सोच हो पाकिस्तानियों को IPL से अलग रखने की, उसने बिल्कुल सही किया है। मेरी और से शत शत धन्यवाद!!!
2 comments:
bechare pakistani cricketer ka karanchi accident se kya matlab....
but rigt upto sum xtant
Pakistani IPL ke standard ke nahi the. Side by side Australia ke sth ka match aur ball tampering dekh le. ( Jinko koe sandeh ho)
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